डॉ बाबासाहेब आंबेडकर G K विचार। Dr. Ambedkar

हेलो दोस्तों टॉप जॉब ज्ञान में आपका स्वागत है। आज हम इस ज्ञान माला में आपको डॉ बी अर आंबेडकर जी के बारे में बताने बाले है। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर विचार, अम्बेडकर के सिद्धांत, जो हमें बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। महापुरुषों के कुछ ऐसे उपदेश होते है जिनको हम जीवन में उतारे तो हम भी कामयाब बन सकते है। यह पोस्ट आपको कामयाब बनाने में मदतगार होगी पूरी पढ़े चलिये सुरु करे।

Dr. Ambedkar,डॉ बाबासाहेब आंबेडकर विचार
Dr. Ambedkar

डॉक्टर बी आर अंबेडकर साहब (Dr. Babasaheb Ambedkar)

जब लोग तुमसे कहे कि तुम से नहीं होगा। यह तुम्हारे बस का काम नहीं है और आपको काम करके दिखा दे, तो जो सेटिस्फेक्शन (Satisfaction) मिलता है उसे मापा नहीं जा सकता। फिर चाहे वह काम सड़क पार करना ही क्यों ना हो, जिन्हें पब्लिक प्लेसेस में पानी पीने की भी अनुमति नहीं थी, जिन्हें क्लास से बाहर बैठाया जाता था,

जिनसे पढ़ाई का अधिकार भी छीनने की कोशिश की गई, जिन्हें प्यास लगने पर ऊंची जाति के लोग आकर के ऊपर से पानी डालकर के पानी पिलाते थे, जिन्हें अनटचेबल माना गया। उन्होंने वह काम किया जो उस तर पर कोई पहुँच नहीं सकता।

फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन, डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर जो आगे चलकर बाबासाहेब आंबेडकर नाम से प्रसिद्ध हुये। बचपम में इनके टीचर थे महादेव आम्बेडकर गाँव के रहने वाले थे और बाबासाहेब से उनका ख़ास लगाव था। उनके कहने पर बाबासाहेब ने अपना जो सरनेम था सतपाल वह हटा करके अंबेडकर लगा लिया।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर पढ़ने में इतने अच्छे थे इतनी ज़्यादा उनकी रूचि कितना इंटरेस्ट था कि 64 विषयों के मास्टर बने, 9 भाषाओं के जानकार थे, लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (London School of Economics) ए जो कोर्स 8 साल में कंप्लीट होता है उसे 2 साल 3 महीने में उन्होंने पूरा कर लिया था।

क्योंकि रोजाना 21-21 घंटे तक पढ़ाई करते थे। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में 2004 में टॉप 100 एस्कॉसिप की लिस्ट निकाली थी जिसमे नंबर 1 में नाम था जिनका नाम था वह है डॉक्टर बाबा आंबेडकर साहब।

शिक्षा पाने की इच्छा होनी चाहिए

इच्छा शिक्षा पाने की यह होनी चाहिए यह बात सबसे पहले आप सीखे। डॉक्टर बी आर अंबेडकर साहब से, बाबासाहेब जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Columbia University) में पढ़ने के लिए गए वहाँ की जो लाइब्रेरी थी उसमें जब पियोन आता था।

जब पियोन दरवाज़ा खोलता था उससे भी पहले डॉ बाबासाहेब आंबेडकर पहुँच जाते थे और सबसे आखिरी में वहाँ से निकलते थे। कई बार तो पियोन से रिक्वेस्ट (request) करते थे की थोड़ा और लाइवेरी खोल लीजिये थोड़ा और पड़ लुगा। 18-18 घंटे रोजाना पढ़ाई करते थे।

उन्हें पढ़ने की इक्छा थी, सिखने की इक्छा थी, एक वार पियोन ने कह दिया की आप दिन-दिन भर पढ़ते रहते हो दोस्तों के साथ मजे नहीं करते हो। तब बाबासाहेब ने कहा कि अगर मैं भी मजे करने लग गया तो, फिर उनका ख़्याल कौन रखेगा? डॉक्टर बी आर अंबेडकर साहब का यह मानना था कि सक्सेस तक पहुँचने का सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही रास्ता है जिसे एजुकेशन कहते है।

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बाबासाहेब की जो प्राइवेट लाइब्रेरी (private library) थी राजगृह जिसका नाम था। उसमें 50, 000 से ज़्यादा किताबें थी और उस वक़्त वह दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट लाइब्रेरी (private library) थी। सबसे पहले बाबासाहेब आंबेडकर जी से सीखिये पढ़ते रहिए, क्योंकि सीखेंगे तभी आप जीतेंगे।

कॉन्फ़डेंस बहुत ज़रूरी

कहते की दुनिया में आप महंगे से महंगा कपड़ा पहन लीजिये, लेकिन जिस दिन आपने कॉन्फ़डेंस पहन लिया उस दिन आप अच्छा फील करेंगे। बाबा साहब की कमाल की बात है बाबा साहब के अंदर कनफडेंस (Confidence) था।

उस समय महात्मा गाँधीजी, बापू की बातों से भी डिसएग्री कर जाते थे डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर और न सिर्फ़ डिसएग्री करते थे, बो अपनी बात बापू तक पहुँचते थे। बापू कहते थे की आपकी इस बात से सहमत नहीं असहमत हु।

इतनी असहमति उसके बाद भी बाबू यह दुनिया से कहते थे। कि आप एक तरफ़ हज़ार विद्वानों को रख दो, हज़ार कॉलर्स को रख दो और एक तरफ़ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर साहब को खड़ा कर दो, इनका ज्ञान इन बाकियों से ज़्यादा ही होगा।

आप समझ जाएगा कि किस क़दर असहमति थी बात बीच-बीच में नहीं बन पाती थी। तब भी महात्मा गांधी जी ने ही जब देश की पहली कैबिनेट बन रही थी स्वतंत्र भारत की तो उसमें कानून मंत्री (law minister) के लिए डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर का नाम बापू ने सुझाया था और डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने देश के पहले कानून मंत्री (law minister) के रूप में शपथ ली, यह सारा कमाल था उनके कॉन्फिडेंस।

जिंदगी में अपना मत सोचिये

जिंदगी में सिर्फ़ अपना मत सोचिए, समाज का भी सोचिए, रिस्पांसिबिलिटी आपकी समाज के लिए भी बनती है यही सिखाते हैं डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर साहब, जिनकी कमाल की बात यह रही कि जब उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई कि आपको इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन (Indian Constitution) लिखना है तो उन्होंने दुनिया के 60 देशों के कॉन्स्टिट्यूशन की पढ़ाई की, अध्ययन किया।

उसके बाद में भारत का संविधान (The constitution of India) जो है उसका निर्माण किया और उसमें ध्यान रखा गया कि सबको बराबरी का हक़ मिले। क्योंकि डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर वह थे जिनसे बचपन में पढ़ाई का हक़ छिना गया।

जिन्हें ऊंची जाति का आदमी ऊपर से पानी पिलाता था तो उन्होंने सारी समस्याओ, सारी कठिनाइयों को पास से देखा अनुभव किया। इसलिए वह चाहते थे की हिंदुस्तान (India) के हर एक आदमी को अधिकार मिले जो बाकि लोगों को है।

इन सभी को ध्यान में रखकर के समाज के निचले से निचले स्तर पर भी जो आदमी खड़ा जो सबसे आखरी में लाइन में खड़ा है उस तक भी सारी सुविधाएँ पहुँचे। इस बात को ध्यान में रखकर भारत के संविधान का निर्माण किया गया।

जिंदगी लंबी नहीं महान होनी चाहिए

जिंदगी लंबी नहीं होनी चाहिए, महान होनी चाहिए, यह कहा था डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर साहब ने और यह बात अगर आप ध्यान से समझेंगे तो बहुत सारे लोग इस बात पर ध्यान देते हैं कि अभी तो इतने साल बाक़ी है। ज़िन्दगी कभी तो इतना-सा टाइम (Time) बाकी। मेरे पास बहुत टाइम है।

यह बहुत टाइम नहीं है ज़िन्दगी कितनी लंबी है इस पर ध्यान देना बंद कर दीजिए, आप ज़िन्दगी जी कैसे रहे हैं? इस पर ध्यान देना शुरू कीजिये, ज़िन्दगी का पोर्पस होना चाहिए और डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर जी का पर्पस था कि समाज के हर आदमी को बराबरी का हक़ मिले जो आप उनसे छिना गया है।

उनसे पढ़ने का हक़ छीना गया, क्लास के बाहर बैठाया गया, पानी पीने तक का अधिकार नहीं था। उन्होंने कोशिश की कि वह पढ़ाई करें, पढ़ाई के दम पर इस सिस्टम को बदलें और सबसे बड़ी बात उन्होंने बदलाव किया। उन्हें नहीं मालूम था कि वह आगे चलकर देश का सम्बिधान (Constitution) लिखेंगे देश के वे पहले कानून मंत्री बनेंगे।

लेकिन जो काम अच्छे से कर सकते थे उन्होंने किया। ज्ञान प्राप्त किया और उस ज्ञान से उस एजुकेशन से सिस्टम को बदलने (Change the system with education) की कोशिश की और वह काम करके दिखाया। इसलिए लाइफ कितनी लंबी इस पर ध्यान देना बंद कीजिए, लाइफ आप कैसे जी रहे हैं आपका पर्पस क्या है उस पर ध्यान देना शुरू कीजिए।

विजनरी होना चाहिए

जिंदगी में विजनरी होना चाहिए डॉ बाबासाहेब आंबेडकर साहब ने आज से 100 साल पहले विमेन एंपावरमेंट की बात की थी, उन्होंने उसकी बात की थी मेटरनिटी बेनिफिट (maternity benefit) की बात की थी। जबकि महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात भी नहीं हुई होगी। उन्होंने कहा था कि मजदूरों को 8 घंटे काम करना चाहिए, 14 घंटे मज़दूर काम कर रहे थे।

सब के अधिकारों के बारे में सोचने वाले थे। बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा कि जिस तरीके से पानी की बूंद समंदर में गिरती है तो समंदर बन जाती है। वैसे इंसान के साथ नहीं होना चाहिए, इंसान समाज में मिला तो समाज बन गया। इंसान को अपने डेवलपमेंट (development) के लिए भी काम करते रहना चाहिए,

जाते-जाते कमाल की बात आपको बताना चाहता हु। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी (Dr. Babasaheb Ambedkar ji) की आपने जितनी पिक्चर देखी होंगी। उन्होंने ब्लू कलर का कोट पहने देखे होंगे। बाबासाहेब को ब्लू रंग (blue color) बहुत पसंद था क्योंकि नीला रंग आसमान का होता है।

दुनिया में आसमान सभी के लिए समान होता है। इसीलिए उन्हें नीला रंग पसंद था। बाबासाहेब आंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) दुनिया के एकलौते सत्याग्रह हुये, जिन्होंने पीने पानी के लिए सत्याग्रह किया था। भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर जी के चरणों में हम सब की ओर से बारंबार वंदन।

पोस्ट निष्कर्ष

दोस्तों आपने इस पोस्ट के माध्यम से जाना की बाबा साहब आंबेडकर जी ने इस देश के लिये, समाज के लिए, देश जनता लिए, क्या-क्या किया। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर GK विचार, आशा है आपको ये जानकारी ज़रूर अच्छी लगी होगी। इस जानकारी को अपने देश के दोस्तों के साथ ज़रूर साझा करे थन्कु।

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