जीवन में प्रकाश विचार हिन्दी ज्ञान

Life में प्रकाश विचार हिन्दी Gyan, Light ideas in life, जीवन प्रकाश, ब्रह्माण्ड स्व आत्मा कहलाता है। वैयक्तिक आत्मा के विपरीत, आत्मा वैश्विक है। यह सभी प्राणियों मे, जीवन का प्रकाश, आत्मा, सकारात्मक विचार सकारात्मक विचार, भावना और चेतना स्व नहीं है, अपितु स्व से निकलने वाले अंश हैं, जिससे वे प्रतिबिम्बित होते हैं। आत्मा का प्रकाश सदैव अपरिवर्तित, स्पन्दन युक्त और शुद्ध रहता है। हमारी आत्मा का Light कितने विस्तार तक बाहर फैल सकता है, हमारी चेतना के गुण पर निर्भर करता है। हमारे विचार, भावनाएँ, गुण और कर्म इसको रूप देते हैं। नकारात्मक गुण और अज्ञान हमारी चमक को दैवीय गुण जैसे ज्ञान, बुद्धि और प्रेम इनको चमका देते हैं।

जीवन में प्रकाश विचार
जीवन में प्रकाश विचार

जीवन में प्रकाश विचार (Light idea in life)

हमारी उच्चतर चेतना जितनी विकसित होती है उतना ही स्पष्ट, शुद्ध और पारदर्शी किरणों का आत्मा से विकिरण होता है। यदि हमारी चेतना पूरी तरह शुद्ध और निष्कलंक होती है, तो आत्मा से Light विकिरण पूर्ण सौन्दर्य और उज्ज्वलता से होता है और तब हम ज्ञान प्राप्ति या ईश्वरानुभूति की चर्चा करते हैं।

साधु-संत (धार्मिक व्यक्ति) पूर्ण रूपेण शुद्ध और स्पष्ट होते हैं और वे ईश्वर के सत्य माध्यम बनते हैं। वे प्रकाश, प्रेम, दया, बुद्धि और स्पष्टता का उपदेश देते हैं-एक क्षण के लिए सन्तों के प्रभापुंज का विचार करें। तथापि आत्मा पर पर्दा डालने वाले कर्मों और अज्ञानों की कई पर्तें होती हैं, तब यह दिव्य प्रकाश उनको पार नहीं कर सकता।

आत्मा, हमारा आन्तरिक स्व, विश्व-आत्मा का सार है, जिसकी प्रकृति महा आनन्द है। अत: विश्व-आत्मा के एक अंश रूप में हर एक व्यक्ति का आन्तरिक सार आनन्द-मात्र आनन्द ही है। एक लैम्प के प्रतीकात्मक चित्र से, हम व्यक्तिगत चेतना की तुलना लैम्प आवरण से कर सकते हैं। कितना प्रकाश लैम्प से चारों ओर फैलेगा यह निर्भर करता है।

जीवन का प्रकाश (Life light)

प्रकाश बल्ब कितनी ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता रखता है। लैम्प आवरण के गुण में भी यही बात है। लैम्प आवरण से बाहर फैलने वाले प्रकाश की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि आवरण कितना स्पष्ट और पारदर्शी है या मिट्टी-धूल भरा और गंदा है। ब्रह्माण्ड स्व आत्मा कहलाता है।

वैयक्तिक आत्मा के विपरीत, आत्मा वैश्विक है। यह सभी प्राणियों में “जीवन का प्रकाश” है। आत्मा, व्यक्तिगत चेतना और मनोभाव का सम्बंध निम्नलिखित उदाहरण से दर्शाया जा सकता है। विवेक बुद्धि का परम शुद्ध प्रकार है। यह सभी विचारों, भावनाओं और अनुभवों पर सावधानीपूर्वक विचार करता है।

वास्तविकता के अनुसार ही निर्णय लेता है, अहम् भाव की इच्छा के आधार पर नहीं, जो मन अधिकांश रूप में करता है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है, अंधकार का अर्थ अज्ञान है। जहाँ Light आता है, वहाँ अंधकार गायब हो जाता है। ज्ञान के साथ भी यही है, जब हमारे अन्दर ज्ञान का उदय हो जाता है, अज्ञान तुरंत रफूचक्कर हो जाता है।

आत्मा प्रकाश (Soul light)

आत्मा प्रकाश है, बिजली का बल्ब व्यक्ति है और लैम्प से निकलने वाली बिजली की किरण मनोभाव है। अंग्रेज़ी में “Spirit of the soul” (आत्मा की भावना) अभिव्यक्ति का प्रयोग किया जाता है और इस अभिव्यक्ति में यह स्पष्ट है कि यह भावना आत्मा से उद्भूत (उत्पन्न) होती है।

यह ‘भावना’ गुण उत्पन्न करती है जैसे स्पष्ट या अस्पष्ट, मज़बूत या कमजोर, भ्रमित, सुन्दर, सृजनात्मक, शिथिल आदि। किन्तु आत्मा पूरी तरह से निर्गुण है, जिसकी तुलना बादल रहित आकाश या बिना लहरों के जल से की जा सकती है।

आकाश में बादल, सागर में लहरें, पर्दे पर दिखाई जा रही फ़िल्म सब गति का भ्रम हैं। अधिकांशत: हमारी व्यक्तिगत चेतना इस गति से मेल खाती है और “आत्मा” की पृष्ठभूमि से अनभिज्ञ बनी रहती है।

आत्मा को स्वयं विकसित होने की आवश्यकता नहीं होती, यह पूर्ण है। केवल चैतन्य को शुद्ध और विकसित किया जाना चाहिए, जिससे यह अपनी वास्तविक प्रकृति को समझ सके. आत्मा ही स्वयं में जीवन है-शुद्ध ऊर्जा। उदाहरण के लिए, एक वृक्ष के एक बीज में एक पूरा वृक्ष पहले ही समाया हुआ है।

हमारे अन्दर का Light

वह ऊर्जा जो सभी वस्तुओं को सामने लाती है, जिससे सब कुछ सामने आ जाता है, वह आत्मा है। आत्मा ईश्वर का सारांश है। यह दैवी नहीं, अपितु स्वयं ईश्वर है। पवित्र नहीं, किन्तु पवित्रता स्वयं ही है। आत्मा एक प्रकाश के समान है, कभी न बुझने वाली ज्योति।

यह हमारे अन्दर का Light है-हमारे कर्मों द्वारा ढका और छुपा हुआ। जिस प्रकार अग्नि धुएँ से ढक जाती है या एक हीरा धूल और गन्दगी की परतों के कारण पहचाना नहीं जाता है। आत्मा भी इसके भागों के कुल जोड़ से भी अधिक अनन्त है। आत्मा हमारे अन्दर रहती है।

कोई यह नहीं देख सकता है कि यह किस प्रकार गर्भ में प्रवेश करती है या किसी मृत व्यक्ति के शरीर को कैसे छोड़ जाती है। यह आती और जाती है। शरीर बदलती है, जिस प्रकार हम अपने वस्त्र बदलते हैं। आत्मा, स्व कभी जन्म नहीं लेती। यह अमत्र्य, शाश्वत, दिव्य और अपरिवर्तनीय है।

ध्यान एकाग्र करना (To concentrate)

ध्यान करते समय उनको क्या सोचना चाहिए और किस पर चित्त एकाग्र करना चाहिए. प्रारम्भ में व्यक्ति श्वास पर, शरीर पर या मांस पेशियों की विश्राम स्थिति पर मन एकाग्र करता है। बाद में व्यक्ति पूर्ण चन्द्र, सूर्योदय या सूर्यास्त पर ध्यान लगा सकता है।

किन्तु वास्तविक ध्यान आत्मचिंतन, आत्मा पर ध्यान एकाग्र करना है। इस स्तर पर हमारी एकाग्रता शारीरिक स्थिति से परे चली जाती है और ध्यान मुद्रा में विचारों से ग्रस्त नहीं होती। सभी पार्थिव इच्छाओं और विचारों के साथ समस्त कल्पना भी विसर्जित हो जाती है।

आत्मचिंतन में Light या चन्द्र अथवा सूर्य की झलक नहीं है। किसी जाग्रत होती कुण्डलिनी, खुलते चक्र या अतिस्वाभाविक शक्तियों की उपलब्धि का विचार भी नहीं है। ये सभी वास्तविकता में शिशु-स्तरीय ध्यानावस्थाएँ हैं।

ऐसे उपायों से न चिपकें केवल आत्मचिंतन पर ही ध्यान करें। सदैव इसके प्रति सचेत रहें-भाव और अनुभव यही करें। मन को स्थिरता पर लाने के लिए और एकाग्रता की शक्ति को सुदृढ़ करने के लिए मंत्र एक सहायक उपकरण के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

ऊर्जा की अनन्त शक्ति समाहित (Eternal energy)

मंत्र का उपयोग मन को शुद्ध और स्वतन्त्र करता है, जिससे आत्मा का उदय हो जाए. कोई ज्योति, चाहे मोमबत्ती हो या टार्च या लकड़ी का जलता हुआ एक गट्ठर, वास्तविकता में एक ही बात है। अग्नि को विकसित होने की आवश्यकता नहीं, यह है और सदैव अग्नि ही रहेगी।

हर लौ का गुण एक ही है-छोटी-सी चिंगारी में भी ऊर्जा की अनन्त शक्ति समाहित है। जब बहुत सारी लौ इकट्ठी हो जाती हैं, तब एक असीम शक्ति बन जाती है-सूर्य। इससे निकलने वाला प्रकाश अत्यधिक शक्तिशाली है।

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आज के विश्व में द्वन्द्वता प्रचलित है, किन्तु एक बुद्धिमान व्यक्ति विभिन्न रूपों में दिखने वाली एकता को पहचान सकता है। जब बुद्धिमान व्यक्ति अपने सामने दो पात्र (जग) देखता है, तब वह सचेत हो जाता है कि जिस मिट्टी से ये बने हैं वह एक ही है।

अन्दर की वास्तविकता (Inner reality)

इस प्रकार आत्मानुभूत, ईश्वर अनुभूत, बाहरी रूप नहीं देखता, अपितु इसके अन्दर की वास्तविकता, आत्मा, स्व को देखता है। जब तक हम द्वंद्वता विचार रखते हैं, पृथकता के विचारों को, हम बड़ी भूल करते हैं। हम उसी क्षण स्वयं की सहायता करते हैं जब हम दो होने के विचारों पर सफलता पा लेते हैं।

फिर हम समझ जाते हैं कि यह संसार हमारे मन का ही निरूपण है, जिसे वास्तव में हमारे मन ने ही बनाया है जैसा हम इसे अपने सामने देखते हैं। हम अनुभव करते हैं कि सृष्टि का सब कुछ परिवर्तनीय और सागर में लहरों के समान अस्थिर है।

कुछ ही समय में सभी लहरें समुद्र में वापस डूब जाती हैं और इसमें समाहित हो जाती हैं। एक दिन यह संसार भी, जैसा हम इसे जानते हैं, नष्ट हो जाएगा और हम सब जगह जो कुछ देखेंगे वह सर्वोच्च ईश्वर, हमारी आत्मा है।

आत्मचिंतन का अभ्यास करें (Practice self-awareness)

अत: ध्यान में आत्मचिंतन का अभ्यास करें। जान लें कि आप मजबूत, शुद्ध, प्रसन्न और अमर हैं। आप स्व हैं! स्व, में कोई डर, कोई उदासी और कोई पाप नहीं है। सांसारिक जीवन की निंदा नहीं करनी है। इन सब के बावजूद, हम इस संसार में ही रहते हैं और यह संसार हमें आश्चर्यजनक अनुभव प्रदान करता है।

अत: हमें स्वयं के लिए life कठिन नहीं बनाना चाहिए, लेकिन फिर भी life का आनन्द लें और स्वयं को धिक्कारने से स्वतन्त्र कर लें, क्योंकि हम सदैव सही मार्ग पर चलने का सद् प्रयास करते हैं। तथापि इस बात को बौद्धिक रूप से समझ लेना ही काफ़ी नहीं है, व्यक्ति को अपने भीतर अधिक गहनता से यह मानना और अनुभव करना ज़रूरी है।

हमने जब एक बार अपनी आत्मा की आवाज़ सुन ली है, तब हम किसी सिद्धि या चमत्कार की इच्छा नहीं रखते। प्रसन्न रहने के लिए अब हमें किसी अन्य वस्तु की आवश्यकता नहीं होती। हमें किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत नहीं रहती जो हमारी सहायता के लिए हाथ बढ़ाए,

अपितु हम दूसरे की सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं ” मैं आत्मा हूँ और यही आत्मा अन्य लोगों में भी रहती है। हम दो नहीं, एक हैं। हम अलग-अलग शरीरों में निवास करते होंगे किन्तु शरीर परिवर्तनीय है। हमारी वास्तविकता एकता में है जो अमत्र्य है।

आध्यात्मिक परिकल्पना (Spiritual vision)

हम ध्यान में जब प्रगति करते हैं तो आध्यात्मिक परिकल्पना विकसित होने की योग्यता आती है। जब हमारी आत्मा पूरे ब्रह्माण्ड में यात्रा (नक्षत्र यात्रा) करती है तब मन और चेतना हमारे स्व-आत्मा की आंखें बन जाते हैं। जिस प्रकार एक मोटर कार की आगे की बत्तियाँ हमारे सामने के मार्ग को प्रकाशित करती है।

इसी प्रकार यह आत्मा सभी परिकल्पना कर लेती है और इस अनुभव तथाज्ञान को हमारी चेतना के पास भेज देती है तथापि सबसे पहले हमें अपनी आत्मा हर जीवनधारी में, हर अणु में और सभी तारों एवं नक्षत्रों में पहचाननी चाहिए. इसका अर्थ है कि हम उस अवस्था तक प्रगति कर लें कि हम सभी जीवधारियों और वस्तुओं में अपने आपको पहचान सकें।

हमें अपनी पहचान किसी एक दार्शनिकता, धर्म, राष्ट्रीयता, लिंग अथवा जाति से नहीं करना चाहिए, अपितु उस एकता को खोजना चाहिए जो सभी बाहरी दिखावटों से ऊपर है। अनुभूति के स्तर पर योगी का मात्र एक ही विचार रहता है, मैं कौन हूँ, योगी जी यह परिकल्पना न केवल ध्यानावस्था में अपितु हर क्षण भी और जीवन के हर परिस्थिति में रहती है। यह उसके स्व की पुकार है, उसके हृदय की गति, उसकी आत्मा है।

हम मानव प्राय: (Humans usually)

योगी यह नहीं सोचता, “मेरे प्रभु, मैं आपके निकट आने का प्रयत्न कर रहा हूँ।” अपितु कहता है; “मेरे प्रभु, मेरे निकट आ जाओ.” हम मानव प्राय: अपने को दुर्बल और असहाय समझते हैं। हम सोचते हैं, ईश्वर बहुत दूर है और उस तक पहुँचना कठिन है।

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किन्तु ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है। ईश्वर निश्चित रूप से हमारे पास आने का मार्ग खोज लेगा। ध्यान में उच्च विचारों और विश्वास पूर्ण विचारों का विकास करना ही उद्देश्य होना चाहिए, क्योंकि विचारों में महान् शक्ति होती है और कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।

भौतिक प्रकाश की किरण (Physical ray of light)

जब रात गिरती है, तो एक टॉर्च प्राप्त करें, कुछ ताजी बैटरी में डालें, फिर लॉन, गार्डन और रास्ते जैसे परिदृश्य क्षेत्रों से गुजरें, जिन्हें आप प्रकाश देना चाहते हैं। टॉर्च को साथ लाने का कारण विभिन्न प्रकाश प्रभावों का अनुकरण करना है। उन वस्तुओं पर टॉर्च को इंगित करें जिन्हें आप प्रकाश देना चाहते हैं और उस पर प्रकाश की किरण चमकते हैं।

देखें कि Light की किरण आपके घर की दीवार पर, पेड़ों, झाड़ियों और परिदृश्य के अन्य तत्वों पर प्रकाश के विभिन्न प्रभाव, विरोधाभास और छाया कैसे बनाती है। यदि आपकी टॉर्च में परिवर्तनशील सेटिंग्स हैं, तो फ्लडलाइट और स्पॉटलाइट के बीच बीम की चौड़ाई को बदलें और स्थिति और कोणों पर ध्यान दें, जो आपको सबसे अच्छा लगता है।

दिन के उजाले के दौरान जब सूरज चमक रहा होता है, तो कुछ लैंडस्केप सुविधाएँ बदरंग दिख सकती हैं, अगर सांसारिक नहीं। लेकिन रात के समय, सुरुचिपूर्ण ढंग से रखी गई Light व्यवस्था शानदार रंग, रंग और प्रभाव दिखा सकती है। प्रकाश व्यवस्था से लाभान्वित होने वाले स्थानों में ड्राइववे, वॉकवे, दीवारें, कदम, प्रतिमा, पानी के फव्वारे, पेड़, झाड़ियाँ, आँगन, डेक और सीमाएँ शामिल हैं।

आपको बल्ब के जीवन काल (Bulb lifespan)

लंबे life प्रकाश बल्ब एक नया विचार नहीं हैं। पारंपरिक बल्बों को लंबे जीवन के रूप में वर्षों से विपणन किया गया है और वे पहले बल्बों की तुलना में थे, जो दशकों पहले सामने आए थे। लेकिन नए बल्बों ने नाटकीय रूप से जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि की है।

नए लंबे life प्रकाश बल्बों में से कुछ सात या अधिक वर्षों तक चलने की उम्मीद है और यह है यदि आप उन्हें पूरे समय पर थे। यदि आपने अभी-अभी उनका सामान्य रूप से उपयोग किया है, तो यह अनुमान है कि आप रोशनी के इस्तेमाल से बहुत पहले एक निवास स्थान से बाहर निकल सकते हैं।

अब आपको नियमित रूप से बल्ब खरीदने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि वे इतने लंबे समय तक चलते हैं और इससे आपको बल्ब के जीवन काल में पैसे की बचत होगी। हर कोई बचाना चाहता है। हम पैसा बचाना चाहते हैं और हम ऊर्जा बचाना चाहते हैं।

हममें से ज्यादातर लोग समय बचाना चाहते हैं और हम में से कई पर्यावरण को बचाने के लिए अपना हिस्सा बनाना चाहते हैं। खैर, इस बचत को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीके हैं और सबसे आसान और स्मार्ट तरीकों में से एक है लंबे जीवन वाले प्रकाश बल्बों का उपयोग करना।

ऊर्जा का संरक्षण (Energy conservation)

इन बल्बों के उपयोग से हमें धन की बचत होगी, ऊर्जा का संरक्षण होगा और अंततः हमारे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। बल्ब एक अन्य प्रकार की ऊर्जा, हमारे संरक्षण में भी मदद करते हैं। चूंकि हमें उन्हें हर समय बदलना नहीं है,

इसलिए लंबे जीवन Light बल्ब हमारे काम के समय को कम करते हैं। ये बल्ब हार्ड-टू-पहुँच स्थानों में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं, क्योंकि हम एक बार स्थापित कर सकते हैं और वर्षों तक उनके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. लंबे जीवन प्रकाश बल्ब का कारण इतनी अच्छी तरह से चलेगा क्योंकि वे बहुत ऊर्जा कुशल हैं।

पारंपरिक बल्ब का उपयोग करने वाली शक्ति का लगभग दसवां हिस्सा लेते हैं। एक पारंपरिक बल्ब को Light करने के लिए उपयोग की जाने वाली शक्ति की मात्रा से आप नौ ऊर्जा बल्बों को प्रकाश में ला सकते हैं। इसके अलावा, आप उच्च वाट पारंपरिक बल्ब के समान प्रकाश शक्ति प्राप्त करने के लिए निचले वाट बल्ब का उपयोग कर सकते हैं।

इसके अलावा ये नए बल्ब कूलर हैं और कम उज्ज्वल गर्मी देते हैं। इस प्रकार से हमने जीवन में प्रकाश का महत्त्व जाना। आशा है आपको हमारी पोस्ट “जीवन में प्रकाश विचार हिन्दी ज्ञान” अच्छी ज़रूर लगी होगी। अपने दोस्तों के साथ इस पोस्ट को ज़रूर साझा करे।

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